यात्रा वृत्तांत >> बुद्ध का कमंडल लद्दाख बुद्ध का कमंडल लद्दाखकृष्णा सोबती
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प्रसिद्ध चित्रकार सिद्दार्थ के कैमरे से लिये गए चित्रों से सजी यह किताब हमें उस जगह ले जाती है जिसका इस धरती पर स्थित होना ही हमें चकित करता है।
हिमालय हमारे देश के भूगोल और इतिहास का महानायक है। हिमालय देश की चारों दिशाओं में फैले भारतीय जनमानस का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्रोत है। शिखरों पर स्थित हमारे तीर्थो का पवित्र प्रतीक है। भारतीय मन को उदेलित करती कलात्मक अभिव्यक्तियाँ इसी महान उद्गम से निकली नदियों के साथ-साथ प्रवाहित होती रही हैं। भारत-भूमि से उदित हो विश्व-भर के नागरिकों को शांति का परम सन्देश देती रही हैं। हिमालय की ऊँचाइयों में स्थित लद्दाख दूसरे पर्वतीय स्थानों से एकदम अलग हैं! ऊपर निर्मल नीला आकाश, श्वेत फेनिल बादलों से सजा और नीचे पीले, रेतीले, मटमैले में स्लेटी ऊँचे बर्फीले शिखरों को लुभाती ग्रे, काली, ताम्बई और दालचीनी रंग की चट्टानें। कुदरत के कठोर वैभव का अनूठा लैंडस्केप। लद्दाख की जीती-जागती छवियों से सजी इस किताब में कृष्णा सोबती ने वहां बिताए अपने कुछ दिनों की यादे ताजा की हैं और उन अनुभूतियों को फिर से अंकित किया हैं जिन्हें विश्व के इसी भू-भाग से अनुभव और अर्जित किया जा सकता है। लद्दाख को कई नामों से जाना जाता है जिनमे एक नाम ‘बुद्ध का कमंडल’ भी है। बुद्ध के कमण्डल, लद्दाख में उदय होती उषाओं, घिरती साँझों और इनके बीच फैले स्तब्धकारी सौन्दर्य के पथरीले विस्तार में टहलती, प्रसिद्ध चित्रकार सिद्दार्थ के कैमरे से लिये गए चित्रों से सजी यह किताब हमें उस जगह ले जाती है जिसका इस धरती पर स्थित होना ही हमें चकित करता है।
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